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एक ऐसा मंजर जिससे पूरे देश में फैल गई सनसनी

 By - Ajeet kumar

संसद पर हमले की बरसी पर सुरक्षा में सेंध लगाकर दर्शक दीर्घा से सदन में कूदे दो युवक।

 
 


   अंग्रेजों के जमाने में बने संसद भवन अब संविधान संधन पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी के दिन बुधवार को दो युवकों ने संसद में नए भवन की सुरक्षा में सेंध लगाकर सनसनी फैला दी। लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से कूदे दो लोगों में से एक युवक तेजी से बेंचों को फांदकर आसन की ओर बढ़ने लगा किसी के गिरने की आवाज और बेंच कुदते युवक को देख सांसद चकित रह गए। कुछ सांसदों ने इस युवक को काबू किया इसी दौरान धुआ फैलने लगा तब तक माजरा समझ में नहीं आया लोकसभा में यह घटना दोपहर 1:01 बजे हुई। किसी के दर्शक दीर्घा से गिरने की आवाज सुनकर सभापति राजेंद्र अग्रवाल चौके कुछ सांसदों ने मुड़कर देखा तो एक युवक तेजी से आसन की ओर भागता नजर आया तो दूसरा पब्लिक गैलरी से लटकता दिखा।

संसद के अंदर और बाहर चार घंटे तक अफरातफरी

 संसद भवन के बाहर रोजाना की तरह भीड़ थी। दर्शक दीर्घा में जाने के लिए लोग गेट के बाहर खड़े थे कुछ लोग पास बनवाने के लिए चहलकदमी कर रहे थे। सुरक्षा कर्मी रोजाना की तरफ तैनात थे। दोपहर करीब 12.30 बजे परिसर के बाहर अचानक धुंध होने लगा। पार्लियामेंट्री रिसेप्शन गेट के बाहर गार्डन के पास तेज आवाज के साथ पीले रंग कर धुआं नजर आया वहाँ मौजूद सुरक्षाकर्मी और अन्य लोग कुछ समझ पाते तब तक दो जने नारेबाजी करने लगे इतना ही सुनाई दे रहा था ये नहीं चलेगा। इनमें एक महिला और युवक था। चारों तरफ भीड़ इकट्ठा हो गयी तभी सुरक्षा जवानों के वायरलेस पर  सदन के अंदर से कुछ अप्रिय घटनाएं होने की सूचना आई जवानों ने फौरन मोर्चा सम्भाला। सदन और परिसर के अंदर जीतने लोग थे सभी को सुरक्षित बाहर निकाल इन चार घंटों में संसद के अंदर और बाहर अफरा तफरी का माहौल रहा।  

इन सांसदों ने बताया क्या हुआ था

स्प्रे का पीला धुआं भरने लगा था

 बसपा सांसद श्याम सिंह यादव ने बताया शांतिपूर्ण तरीके से शुन्य काल चल रहा था। पीछे से ज़ोर की आवाज आई मुड़कर देखा तो दो युवक गैलरी से कूदकर नीचे आ चूके थे। इनके पास मसाला जैसा कुछ था। एक डायस की तरफ भागा जा रहा था नारेबाजी भी कर रहे थे। एक ने स्प्रे किया जो पीले रंग का था। स्प्रे से धुआं भरने लगा गैलरी की ऊँचाई इतनी कम है किस कोई भी कुद सकता है। सुरक्षा चूक तो है ही। दोनों युवक करीब 5.5 फ़ीट थे सांवला रंग था जैकेट पहने हुए थे 

भाजपा सांसद के हस्ताक्षर के पास जारी

 संसद भवन के बाहर राज्यसभा सांसद महुआ माझी ने बताया यह घटना पूरे देश के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा इन युवकों को भाजपा सांसद के हस्ताक्षर से पास जारी हुआ था। यदि किसी अन्य पार्टी के सांसद के हस्ताक्षर से जारी होता तो अब तक निष्कासन की कार्रवाई शुरू हो जाती।

 सफेद रंग के जूते में छुपा रखा था स्प्रे

  महाराष्ट्र से लोकसभा सांसद धैर्यशील माने ने बताया कि वे अपने परिवार के साथ  4 नंबर गली में बैठे हुए थे घटना को अंजाम देने वाले युवक भी वहीं थे अचानक नीचे कूद एक ने सफेद रंग का जूते पहने हुए थे। उसमें ही  स्प्रे गैस छुपा कर रखा था।

संसद की सुरक्षा में चूक से उठे कई सवाल


 ठीक 22 साल बाद संसद की सुरक्षा में सेंध लगाना जितना चिंताजनक है उससे अधिक चौंकाने वाला भी है। सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त को भेदते हुए जीस तरह से बुधवार को दो युवक सिर्फ दर्शक दीर्घा से लोकसभा में कूद गए। बल्कि अपने साथ ले गए स्प्रे से सदन को धुएं से भी भर दिया। गनीमत तो यह कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद होने के दावों के बीच हुई यह घटना अनेक सवाल खड़ा करता है। 22 साल पहले 13 दिसंबर को संसद पर हुआ आतंकी हमला लोगों ने स्मृति पटल से अब भी उझल नहीं हुआ है। हालांकि लोकसभा की ताजा घटना में किसी तरह का नुकसान तो नहीं हुआ है। लेकिन इसने हमारी सुरक्षा व्यवस्था में रही खामियों को एक बार फिर से उजागर कर दिया है। दर्शक दीर्घा से लोग सभा में उड़ने के बाद सदन को धुएं से भरना कोई छोटी घटना नहीं मानी जा सकती। सबसे बड़ा सवाल तो यही है की संसद में प्रवेश करने वाले अंगतुको की जांच पड़ताल कई स्तरों पर होती है। फिर दोनों युवक जूते में स्प्रे  छिपाकर लाने में कामयाब कैसे हो गए। वे हथियार भी जूते में छिपाकर ला सकते थे। खास बात यह है की अमेरिका में छिपे बैठे खालिस्तानी आतंकी गुरपतंवर सिंह पन्नू ने 13 दिसंबर या इससे पहले संसद पर हमले की खुली चुनौती दी थी। तो क्या पन्नू की धमकी को सुरक्षा एजेंसियों ने हल्के में लिया। यहा युवक और एक युवती ने संसद के बाहर भी पीले रंग का धुआं छोडकर सनसनी मचाई। सुरक्षा चूक का मामला 22 साल पहले संसद पर हुआ आतंकी हमले तक ही सीमित नहीं है पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी की हत्या भी सुरक्षा में चूक के चलते ही हुई थी। देश में दूसरे कई नेता भी आतंकी और नक्सली हमले में अपनी जान गंवा चूके हैं। सुरक्षा व्यवस्था में चूक कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। बेहतर तो यही होगा की इस पर राजनीति करने के बजाय चुक के कारणों की समीक्षा तो हो ही भविष्य में ऐसी घटना न हो इसका बंदोबस्त भी किया जाए। साथ ही सुरक्षा में चूक के लिए जिम्मेदारों की पहचान कर उन्हें सजा भी दी जानी चाहिए। ताकि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति को रोका   जा सके। इस घटना के बाद विजिटर पास के साथ साथ सांसदों और पूर्व सांसदों के निजी सहायकों के पास रद्द करने का फैसला किया गया है। सरकार को सभी दलों से विचार विमर्श के बाद सुरक्षा उपायों की नए सिरे से समीक्षा करनी चाहिए। सुरक्षा में लापरवाही का खामियाजा देश भुगत चुका है इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ऐसे हालात फिर पैदा न हो।


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